विविध आयाम by Rahul Shukla.

The Blurb: 

Prastut kriti 'Vividh Aayam' yuva man ke dard tadap, samajik patan ki pida ke saath unki aashaein aur aakanshyein bhi maujood hain. Yuva kinkartyavimoodh hokar khud ko kosta hai to kabhi visangatiyon bhare is samaaj ko, aur jab uske komal man ke tantu khanakhana kar tootate hain, to antaratma se kavita nikalti hai jo yuva man ka bodh karati hai. 

"kaise mein geet suna doon, babu priyatam shona ke 
jab vishwa me lashon ke dher lage korona se
kaise mein jashn mana loon, bharat ki pakistani newton par
chand dino ki thi shadi, ab yadein hain bistar ki salvar par"

Samaaj me ho rahe beta aur beti ke bhedbhav n karne ka aagrah kiya hai. 

"he manav! beta sundar hota hai, par bitiya to hai sundaratam
beta beti hote ek saman, prakrit ki har rachna nirupam"

Apni sahridayata aur sundarya prem ka parichay kuch is prakar diya hai.

"tum mera jeevan mandir, jaise roz karun puja archan
har saans me hai basta mere, tere sparshon ka spandan."

About Book /पुस्तक परिचय:

इस किताब में राहुल शुक्ल जी ने कविताओं का वर्णन बड़ी ही सुंदरता से किया है। इस किताब की कविताओं में से, कुछ कविताएँ है जो मेरे दिल को छू गयी.

१. " सपनों का हिंदुस्तान " जिसमे राहुल जी की एक पंक्ति है,

" कैसे में गीत सुना दूँ बाबू प्रियतम शोना के
जब विश्व में लाशों का ढेर लगे करोना से। "

कवि ने बेहद खूबसूरती और अर्थपूर्ण अंदाज़ से विश्व का हाल अपनी कविता के माध्यम से लोगो तक पहुँचाया जो की प्रेरणादायक है। 

२. " नारी व्यथा" जिसमे राहुल जी ने नारी के ऊपर हुए जुर्म, उनकी जीवन दास्ताँ और कैसे उनको अपनाया नहीं जाता संसार में, इसके बारें में बताया है। इस कविता से कवी ने ये व्यक्त किया है की, नारी के ऊपर जुर्म हो रहे है और कैसे वो श्री कृष्णा जी से मदद का इंतज़ार कर रही है और पूँछ रही है के कब आएंगे वो मदद के लिए, यह व्यक्त किया है। 

३. इस किताब की कविताओ में से एक कविता बड़ी दिल को छूने वाली कवी है, " तब तुमसे मैं पूछूंगी "

इस कविता के माध्यम से कवि राहुल जी ने यह बताया है की, कैसे एक छोटी सी पांच साल की लड़की पीड़ा मे रही होगी जब उसका रेप हुआ होगा। इसका वर्णन किया है कवी ने इस कविता में। और यह बताया है की जब तुम्हारी बेटी पर बीतेगी तब मैं पूछने आउंगी कैसा लगा यह बात सुनके ? 

४. " गर्भ और स्त्री " इस कविता में एक गर्भवती स्त्री की मनोदशा का वर्णन किया है। कैसे वो हर गम हर दर्द को भूल के एक नन्ही से जान को इस दुनिया में लाना उससे मानो प्रकृति का नीवं कहलाना लेकिन वही स्त्री का प्रश्न यह हैं की इसका मोल तो कोई समझे कोई। कविता का एक मुक्तक देखें
सोचकर हृदय कुसुम को अंक लगाऊँगी
आँखों की पलकें झुक जाती हैं
गर्भ में माँ शिशु के स्पर्श तरंगों की
आवृत्ति से मानो घड़ियाँ रूक जाती हैं

ऐसे ही दिल लो छु जाने वाली कविताओं को पढ़िए विविध आयाम किताब में राहुल जी द्वारा लिखित।

My Take / मेरे विचार :

विविध आयाम कवि राहुल जी द्वारा लिखित पहली पुस्तक है और यह न केवल पढ़ने के लिए सुंदर है बल्कि दिल को छूने वाली है‌ और साथ ही साथ वास्तविकता का एक हिस्सा भी है। 

इस किताब को पढ़ के मुझे बहुत ही आनंद महसूस हुआ, क्योंकि कवि ने बहुत ही सरल शब्दों में सच्चाई को कविता के रूप में लिखा है। इन कविताओं को पढ़ के किसी का भी आत्मविश्वास बढ़ जाय॓गा। कविताओं की सुंदरता उनकी अनुभूति की गहराइयों में है। कई कविताओं में कवि राहुल जी ने प्रेम और प्रकृति के सौंदर्य का ऐसा तानाबाना बुना है कि पढ़कर अलौकिक एहसास होता है।

कवि ने कविताओं के विषय को बहुत चालाकी से चुना है और भले ही कुछ संवेदनशील कविताएँ हैं लेकिन उनकी भावना का अर्थ और विभाग बहुत दृढ़ता से व्यक्त किया गया है। कुछ कविताएँ कोरोना काल की हैं जो कि समकालीन और अत्यंत प्रासंगिक हैं। कवि ने अलंकारों का भरपूर प्रयोग किया है ।

पुस्तक का मुख्य आकर्षण यह है की, पढ़ते समय मैं पूरी तरह से अन्तर्मुखत हो गयी, शुरुवात से लेकर अंत तक यह अद्वितीय और दिलचस्प कविताओं ने जोड़े रखा। ये कविताएँ बहुत ही प्रेरक हैं। 

सम्पूर्ण यह एक अद्भुत किताब है, जिसको राहुल जी ने बहुत ही खूबसूरती से और सच्चाई क॓ साथ लिखा है। तो यह क्लिक करिये और पढ़ें विविध आयाम लिखित राहुल शुक्ल द्वारा ।

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