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Devalika by Laxmikant Shukla

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The Blurb: “छोड़ जाते हो तुम जब भी मुझे... मेरे हृदय को चुभता है। ‘देवालिका’ पूर्व में उत्तर भारत के मध्य स्थित शेषालय राज्य की राजकुमारी दिवा की प्रेम कहानी है। जिसे काशी के राजकुमार धनंजय से प्रेम हुआ। परन्तु मगध के शक्तिशाली राजा दुर्जय सिंह को उनका प्रेम रास न आया। कहा जाता है कि दुर्जय के पास सौ अश्वों का शारीरिक बल था। जिसे किसी भी युद्ध में पराजित करना लगभग असम्भव था। दुर्जय ने भरे स्वयंवर से दिवा का हरण कर लिया और बलपूर्वक मगध ले आया। दिवा और धनंजय का प्रेम यहीं समाप्त नहीं हुआ बल्कि वास्तविक कहानी यहीं से प्रारम्भ हुई। दिवा के हरण के पश्चात् काशी और मगध के बीच महा प्रलयंकारी युद्ध हुआ, जो लगातार नौ दिन तक चल। जिसमें भारत के प्रमुख राज्यों ने हिस्सा लिया। ये कथा धनुर्धारी अमृत्य और यदुवंशज माधव की कहानी भी कहती है। देवालिका में युद्ध के प्रत्येक दिन का सजीव वर्णन और प्रयोग किये गये अस्त्रों-शस्त्रों की जानकारी बखूबी दी गई है। कथा के प्रमुख बिंदु अमृत्य का धनुर्कौशल, दुर्जय की दुर्जयता, दिवा की सुन्दरता और माधव की कूटनीति हैं। ये कथा हमें राजवंश की ओर ले जाती है। कथा के कुछ हिस्स